why kaveri engine is trending

ट्रेंड में क्यों है Kaveri Engine? भारत की डिफेंस ताकत को बदल सकता है ये देसी जेट इंजन!

सोशल मीडिया पर मचा धमाल:

#FundKaveriEngine बना ट्रेंडिंग हैशटैग!
26 मई को भारत के नागरिकों, रक्षा विशेषज्ञों और एविएशन लवर्स ने सोशल मीडिया पर एकजुट होकर सरकार से कावेरी जेट इंजन प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाने की मांग की। ट्विटर (X) पर #FundKaveriEngine हैशटैग टॉप ट्रेंड करने लगा। यूज़र्स ने प्रधानमंत्री मोदी से इस स्वदेशी इंजन को प्राथमिकता देने और फंडिंग बढ़ाने की अपील की।

क्या है कावेरी इंजन? क्यों बना था ये तेजस के लिए?

कावेरी एक जेट प्रोपल्शन इंजन है जिसे GTRE (Gas Turbine Research Establishment) ने विकसित किया है। GTRE, DRDO (Defence Research and Development Organisation) की एक प्रयोगशाला है।

यह इंजन low bypass twin spool turbofan टाइप का है, जो 80 किलो न्यूटन (kN) तक thrust देता है। इसमें Full Authority Digital Engine Control (FADEC) सिस्टम है, जो इंजन को ज्यादा रियलिबल बनाता है।

इस इंजन को 1980 के दशक में विकसित करना शुरू किया गया था ताकि यह भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान LCA तेजस को ताकत दे सके। लेकिन 2008 में परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड्स न पूरा करने की वजह से इसे तेजस प्रोग्राम से हटा दिया गया।

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अब तक क्यों रुका रहा कावेरी इंजन प्रोजेक्ट?

कावेरी इंजन की देरी के पीछे कई बड़ी तकनीकी और रणनीतिक वजहें रहीं:

  • भारत को aerothermal और metallurgical टेक्नोलॉजी में अनुभव की कमी थी।

  • 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद लगे विदेशी प्रतिबंधों ने ज़रूरी तकनीकों (जैसे single-crystal turbine blades) की सप्लाई रोक दी।

  • भारत में उन्नत टेस्टिंग सुविधाएं नहीं थीं, जिसके चलते high-altitude टेस्टिंग के लिए रूस के पास जाना पड़ा।

  • अनुभवी वैज्ञानिकों की भी कमी थी।

  • फ्रेंच कंपनी Snecma के साथ तकनीकी साझेदारी 2013 में टूट गई, जिससे इंजन को core टेक्नोलॉजी नहीं मिल पाई।

इन कारणों से इंजन तेजस के लिए भारी और कमज़ोर साबित हुआ। तेजस को फिर अमेरिका के GE F404 और F414 इंजन दिए गए।

अब UCAVs और नेवी में मिल रहा है नया रोल!

तेजस में काम न आने के बावजूद कावेरी इंजन को नए प्लेटफॉर्म्स के लिए फिर से डिजाइन किया गया है। इसका नया वर्जन अब भारत के Unmanned Combat Aerial Vehicles (UCAVs), खासकर ‘घातक’ स्टील्थ UCAV को पावर देने के लिए तैयार किया जा रहा है।

अब इस प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनियां भी जुड़ चुकी हैं। जैसे Godrej Aerospace ने जरूरी इंजन मॉड्यूल्स डिलीवर किए हैं। हाल ही में हुई in-flight टेस्टिंग से साफ है कि इस प्रोजेक्ट को अब असली रफ्तार मिल चुकी है।

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भारतीय नौसेना का रोल: समुद्री वर्जन KMGT तैयार

भारतीय नेवी अब कावेरी इंजन का समुद्री वर्जन – KMGT (Kaveri Marine Gas Turbine) तैयार करवा रही है, जो छोटे युद्धपोतों को पावर देगा।

KMGT ने विशाखापट्टनम के नेवल डॉकयार्ड में टेस्टिंग पास कर ली है और इसमें 12 मेगावॉट (16,000 हॉर्सपावर) की ताकत है, जो छोटे जहाजों के लिए काफी है।

हालांकि, ये इंजन अभी डेवलपमेंट और वेरिफिकेशन स्टेज में है और प्रोडक्शन में आने से पहले कुछ और टेस्टिंग बाकी है।

अब तक कितना खर्च हुआ और क्या मिला?

2016 तक करीब ₹3,000 करोड़ कावेरी प्रोजेक्ट पर खर्च हो चुके थे। कई लोग इस खर्च को फिजूल मानते हैं, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत को:

  • स्वदेशी एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता

  • टरबाइन डायनामिक्स में समझ

  • घरेलू टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर

आगे क्या?

कावेरी इंजन अब भारत के डिफेंस सेक्टर के लिए नई उम्मीद बन चुका है। UCAVs, नेवल जहाजों, और स्वदेशी इंजन की ज़रूरत के चलते यह प्रोजेक्ट अब फिर से स्ट्रैटेजिक अहमियत हासिल कर रहा है।

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