Supreme Court rejects PIL on Deepfake Regulation – Advice to approach Delhi High Court

Supreme Court ने Deepfake Regulation की PIL खारिज की – Delhi High Court जाने की सलाह

Supreme Court ने Deepfake Regulation की PIL खारिज की – Delhi High Court जाने की सलाह

नई दिल्ली:
देश की सर्वोच्च अदालत, Supreme Court ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में AI-generated deepfakes regulation पर दायर Public Interest Litigation (PIL) को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता चाहते थे कि Court एक expert committee गठित करे, जो भारत में deepfake और AI content के लिए मॉडल कानून का ड्राफ्ट तैयार करे।

इस मुद्दे पर सुनवाई Justices Surya Kant और N Kotiswar Singh की बेंच ने की और Petitioner को Delhi High Court जाने की सलाह दी, जो पहले से इस विषय पर सुनवाई कर रही है।

PIL में क्या मांग की गई थी?

Advocate Narendra Kumar Goswami ने यह PIL दायर की थी, जिसमें उन्होंने deepfake कंटेंट पर regulation की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को IT Act, 2000 के तहत नए नियम बनाने चाहिए जो deepfake को नियंत्रित करें। उनके सुझावों में शामिल था:

  • AI-generated कंटेंट पर Watermarking अनिवार्य की जाए, जिसमें metadata हो (creator, tools used, origin आदि), जैसा कि China की Deep Synthesis Provisions में है।

  • 24 घंटे में takedown mechanism deepfake content के लिए, IT Rules 2021 की तर्ज़ पर।

  • AI प्लेटफॉर्म्स का quarterly algorithmic audit CERT-In से empanelled auditors द्वारा।

  • AI Regulation Body का गठन, जिसमें Retired SC Judge, NITI Aayog, CERT-In और academia के प्रतिनिधि हों।

  • चुनावों में Deepfake Monitoring Cell स्थापित किया जाए, जो सभी political AI ads को pre-certify करे और real-time takedown आदेश जारी कर सके।

  • Model Code of Conduct में संशोधन कर undisclosed AI content को प्रतिबंधित किया जाए।

National Security और Awareness पर ज़ोर

Petitioner ने Ministry of Home Affairs से भी आग्रह किया कि वो 90 दिनों में एक National Protocol on AI Threats तैयार करे। इसमें यह शामिल हो:

  • NIA के तहत एक cyber-forensics unit deepfakes की foreign origin जांच के लिए।

  • सभी प्लेटफॉर्म्स द्वारा deepfake घटनाओं की अनिवार्य रिपोर्टिंग CERT-In को

  • पुलिस के लिए deepfake पहचान व FIR registration पर ट्रेनिंग प्रोग्राम।

  • Ministry of Education द्वारा National Deepfake Literacy Mission, जो NCERT curriculum (कक्षा 6–12) में digital literacy को शामिल करे।

Supreme Court की टिप्पणी

Supreme Court ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा पहले से Delhi High Court में लंबित है और वहां से कई आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं। Court ने कहा:

“हम समानांतर कार्यवाही की आवश्यकता नहीं समझते। Petitioner चाहें तो High Court में Intervenor बनकर सुझाव दे सकते हैं।”

Justice Kant ने petitioner से यह भी कहा:

“आप बार काउंसिल के सदस्य हैं। Media के सामने माइक पकड़कर बोलना आपका उद्देश्य लगता है। लेकिन deepfake एक गंभीर विषय है, इसे lightly नहीं लिया जा सकता।”

उन्होंने आगे कहा:

“Cyber criminals इतने तेज़ हैं कि आप कोर्ट से बाहर निकलें, तब तक एक और deepfake तैयार हो जाएगा। इसलिए आपको High Court में जाकर मदद करनी चाहिए – शायद आपके पास कुछ नए ideas हों।”

 यह मुद्दा इतना ज़रूरी क्यों है?

आज के दौर में deepfake तकनीक तेजी से बढ़ रही है और इसका दुरुपयोग भी उतनी ही तेजी से हो रहा है।

  • चुनावों में voter manipulation

  • नेताओं और सेलिब्रिटीज़ की छवि खराब करना

  • महिलाओं के खिलाफ digitally morphed videos

  • झूठी खबरें और misinformation फैलाना

ये सब AI और deepfake technology के misuse के उदाहरण हैं।

भारत में फिलहाल कोई विशेष कानून नहीं है जो deepfakes को सीधे regulate करता हो। मौजूदा IT Act और IPC की कुछ धाराएं इस पर आंशिक रूप से लागू होती हैं, लेकिन एक dedicated framework की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है।

 निष्कर्ष

Supreme Court का यह निर्णय procedural grounds पर था, लेकिन यह deepfake regulation की ज़रूरत को खारिज नहीं करता। Court ने साफ़ कहा कि यह मुद्दा गंभीर है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Delhi High Court में इस पर आगे क्या निर्णय लिया जाता है और सरकार deepfakes पर कड़े कानून लाने के लिए क्या कदम उठाती है।

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