🇮🇳 AI Warfare: भारत की नई युद्ध नीति
6 और 7 मई की रात से शुरू हुए भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चले सैन्य संघर्ष (military conflict) में भारत ने जो रणनीतिक बढ़त दिखाई, वह आधुनिक तकनीक की शक्ति को दर्शाता है। इस बार युद्ध सिर्फ बंदूकों या मिसाइलों से नहीं लड़ा गया, बल्कि Artificial Intelligence (AI), indigenous navigation systems, air defense technologies और real-time cloud computing का भी पूरा इस्तेमाल किया गया।
दुश्मन की हर हरकत पर AI की पैनी नजर
Defence sources के अनुसार, भारत ने इस conflict के दौरान पाकिस्तान के कई military installations को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और उनके लगातार हो रहे aerial attacks को AI आधारित तकनीकों से neutralize कर दिया।
भारत ने अपने AI-powered Integrated Air Command and Control Systems (IACCS) के जरिए दुश्मन की गतिविधियों को न सिर्फ detect किया बल्कि उन्हें strategically shoot down भी किया — वो भी land, sea और air से coordinated attack के जरिये।
यह सिस्टम radar signals को पढ़ कर real-time में hostile aircrafts को identify करता है और उन्हें intercept करने के लिए तुरंत प्रतिक्रिया देता है। इसे कहते हैं true AI warfare!
Indigenous Tech का कमाल
भारत ने अपने घरेलू तकनीकी संसाधनों को भी शानदार तरीके से integrate किया — जैसे:
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Navigation Systems: देशी नेविगेशन सिस्टम्स ने precise targeting में अहम रोल निभाया।
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Hard & Soft Kill Techniques: दुश्मन के objects को मार गिराने और उन्हें jam या spoof करने की रणनीति को सफलतापूर्वक execute किया गया।
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Precision Strikes: भारत की strike capabilities अब पहले से कहीं ज़्यादा deep और precise हो चुकी हैं।
एक अभेद्य सुरक्षा कवच
India की Armed Forces ने पिछले कई वर्षों से AI आधारित रक्षा प्रणालियों पर काम शुरू कर दिया था। इसका असर इस बार के संघर्ष में साफ दिखा। Integrated Defence Technologies ने एक impenetrable shield तैयार किया, जिसने Pakistan के aerial threats को भारत की सीमा में घुसने ही नहीं दिया।
कैसे बना AI का रोडमैप?
भारत में AI को डिफेंस में शामिल करने की शुरुआत 2018 में हुई, जब Ministry of Defence (MoD) ने एक Multi-Stakeholder Task Force बनाई। इसके बाद कुछ अहम संस्थान और योजनाएं बनीं:
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Defence AI Council (DAIC)
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Defence AI Project Agency (DAIPA)
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2022 में एक detailed roadmap तैयार किया गया, जिसमें 70 defence-specific AI projects तय हुए — जिनमें से 40 पूरे हो चुके हैं।
2026 तक 129 AI projects plan किए गए हैं, जिनमें 77 अब तक पूरे हो चुके हैं।
हर डिफेंस विंग को AI implementation के लिए ₹100 करोड़ का बजट दिया गया।
भारत की Defence PSUs का योगदान
भारत की सरकारी कंपनियां भी इस क्षेत्र में आगे हैं:
Bharat Electronics Limited (BEL):
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दुश्मन के aircraft की पहचान और classification के लिए एक AI-based system तैयार किया है।
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यह system भारतीय वायुसेना के IACCS में शामिल होगा, जिससे air operations के दौरान situational awareness काफी improve होगा।
Indian Army:
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एक AI-based Intercept Management System (IMS) तैयार किया है, जो western theatre में adversary के intercepts का automated analysis करता है।
CAIR – DRDO:
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Air Defence Control and Reporting System (ADC&RS) तैयार किया गया है जो aerial threats को समय रहते detect करता है और उन्हें neutralize करता है।
AI ने बदल दी युद्ध की परिभाषा
AI ने युद्ध को reactive से proactive बना दिया है। अब दुश्मन के आने का इंतज़ार नहीं होता, बल्कि उसकी planning को पहले ही detect करके जवाब तैयार रहता है।
इस बार की military engagement ने यह दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ traditional weapons से नहीं, बल्कि AI Warfare से भी किसी भी खतरे का जवाब देने में सक्षम है।
निष्कर्ष
इस संघर्ष ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, technology से लड़े जाएंगे। और भारत इसमें पूरी तरह से तैयार है।
AI, navigation systems, radar tech, और electronics का यह integration भारत को न केवल एक सैन्य शक्ति बनाता है, बल्कि एक Techno-Military Superpower बनने की दिशा में भी ले जा रहा है।
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